१.मितं ही ददाति पिता,मितं भ्राता,मितं सुतः।
अमितस्य तु दातारं, भर्तारम का न पूज्यते।
2.शुभ-कामना
जीवन में मंगल की ,माथे पर चंदन की।
जन-जन में वंदन की,चन्हुदिश अभिनन्दन की।
भोजन में विविधा की,धन वैभव वसुधा की।
स्वास्थ्य औरसुविधा की,दूर सभी दुविधा की।
३.सुख सम्रध्धि और स्वास्थ्य संजोए नव-वर्ष मंगल होए।
उमर की लम्बी डगर रहे,साथ मित्रों का बसर रहे।
मान मर्यादा अजर रहे ,साल भर सुंदर सफर रहे।
कभी कोई शुभ अवसर न खोएबरसता सदा स्नेह
४.सिर्फ़ छांव में रहकर फूल भी नही खिलते,
चाँदनी से मिलकर भी धूप की ख़बर रखना।
दाग सिर्फ़ औरों के देखने से क्या हासिल,
अपना आइना है तू ख़ुद पर भी नजर रखना।
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